किसी भी गाँव में महिला की डिलीवरी करानी हो या फिर किसी बच्चे का टीकाकरण कराना हो। किशोरियों के साथ स्वच्छता की बैठक होनी हो या फिर घर-घर जाकर बच्चे की देखरेख करनी हो। इन सब कार्यों का उत्तरदायित्व आशा कार्यकर्ता पर है। इसके बावजूद इन आशाओं को निश्चित वेतन तक नहीं मिलता है, फिर भी गांव के प्रधान इस पद पर उनका चयन कराने के लिए घूस लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। चलिये आपको सुनाते हैं एक गरीब महिला की जुबानी....। हमारी वेबसाइट है: http://adhikarexpress.com/