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मुर्दों और अस्पताल के बीच ठिकाने की मारा-मारी!

मुर्दों और अस्पताल के बीच ठिकाने की मारा-मारी!

धनबाद (झारखंड)। उत्तर भारत में जारी सर्दी के सितम के कारण जहां शहर के बेघर लोगों के लिए अपनी जिंदगी बचाना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी ओर धनबाद के पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मुर्दे ठिकाना न मिलने के कारण एक नयी परेशानी में पड़ गए हैं। यहां के प्रबंधन ने आदेश जारी कर कहा है कि अस्पताल में अब किसी मुर्दे को नहीं रखा जाएगा। ऐसी दशा में मुर्दों को रखने की समस्या खड़ी हो गयी है। 

आपको बता दें कि धनबाद के पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मुर्दों को सुरक्षित रखने के लिए मोर्चरी में छह बॉक्स की व्यवस्था थी। इसमें छह मुर्दे रखे जा रहे थे। लेकिन, मरम्मत नहीं होने के कारण पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने दस वर्ष पुराने बदहाल मोर्चरी को कंडम घोषित कर दिया है। और मोर्चरी को अस्पताल से बाहर निकाल दिया है। प्रबंधन का आदेश है कि अब किसी भी शव को मोर्चरी में नहीं रखा जाय। यदि अब पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कोई शव आता है तो उसे के पोस्टमार्टम हाउस के मर्चरी में रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम हाउस में जगह की कमी के कारण शवों की ठेला-ठली हो रही है। जिसके कारण अराजकता का माहौल बन गया है। हालांकि इस समस्या को ध्यान में रखते हुए पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने नए मोर्चरी के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है।   

गौरतलब है कि पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में औसतन हर दिन चार-पांच शवों का पोस्टमार्टम होता है। इन शवों में से एक-दो शव लावारिस भी होते हैं। इन लावारिस शवों को निर्धारित समय तक मर्चरी में रखा जाता है। इसके बाद शवों को लावारिस घोषित कर उनका अंतिम संस्कार किया जाता है, तब जाकर ही मोर्चरी में नए शव के लिए स्थान खाली होता है। लेकिन मोर्चरी को कंडम घोषित कर देने के कारण अब पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मुर्दों के लिए जगह की गंभीर समस्या खड़ी हो गयी है।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार