रायपुर (छत्तीगढ़)। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को आदिम जाति विभाग के सचिव डी डी सिंह की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने जोर का झटका दिया है। इस समिति ने अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अजीत जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया है। उच्च स्तरीय समिति ने छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) के प्रावधानों के तहत कार्यवाही के लिए बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित किया है। 2013 के नियम 23(5) के प्रावधानों के तहत उप पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र जब्त करने के निर्देश दिए हैं। वहीं अजीत जोगी ने जोगी ने समिति के इस आदेश को न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि सन् 2001 में बीजेपी नेता संतकुमार नेताम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग से पूर्व मुख्यमंत्री जोगी की जाति को लेकर शिकायत की थी। नेताम का कहना था कि जोगी ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर स्वयं को आदिवासी बताया है। इस आधार पर आयोग ने अजीत जोगी को नोटिस जारी किया था। इसके बाद उन्होंने बिलासपुर उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को जाति का निर्धारण करने, जांच करने और फैसला देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले को लेकर संतकुमार नेताम सर्वोच्च न्यायालय गए थे। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2011 को अपने फैसले में कहा था कि सरकार उच्च स्तरीय समिति बनाकर अजीत जोगी की जाति प्रकरण का निराकरण करे। गठित समिति ने मामले की जांच के बाद 27 जून 2017 को आदेश जारी कर अजीत जोगी के सभी प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया था। तब इस फैसले के खिलाफ अजीत जोगी बिलासपुर उच्च न्यायालय गए, जहां न्यायालय ने उच्च स्तरीय समिति अधिसूचित न होने की वजह से इसे विधि अनुरूप नहीं माना था। इसके बाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य शासन ने 21 फरवरी 2018 को फिर से डीडी सिंह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का पुनर्गठन किया था।
डीडी सिंह की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी जांच में पाया कि अजीत जोगी अपने कंवर अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने के दावे को साबित करने में असफल रहे हैं। इसलिए ‘छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013’ के अधीन नियम 2013 के उपनियम 23 (2) में विहित प्रावधान के अनुसार जोगी के पक्ष में जारी किए गए ‘कंवर’ अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया गया है। वहीं अजीत जोगी का कहना है कि वह उच्च स्तरीय समिति के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में दो बार रिपोर्ट आई। मैं तब से अब तक न्यायालय में इन फैसलों को चुनौती देता रहा हूं और अब पुन: मैं इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दूंगा।