कोरोना महामारी के समय सड़कों पर नारकीय स्थिति का सामना कर रहे श्रमिक आज आर्थिक व भावनात्मक रूप से बुरी तरह टूट चुके हैं। सैंकड़ों श्रमिकों की तो भूख-प्यास और दुर्घटना में मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर राज्य व केन्द्र सरकारें श्रमिकों को रोटी, पानी और जीवन की सुरक्षा देने की बजाय संकीर्ण राजनीति का खेल-खेलने में जुटी हुई हैं। और श्रमिकों साथ घिनौना मजाक कर रही हैं।