Main Menu

एटीएम/क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी पर क्या करें   

एटीएम/क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी पर क्या करें   
  • एटीएम/क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी के शिकार हो जाएं तो सबसे पहले जितनी जल्दी हो सके अपना कार्ड ब्लॉक करवाएं और अपने संबंधित बैंक को सूचना दें।
  • इसके बाद नजदीकी किसी एटीएम में जाकर जांच कर लें कि आपका कार्ड ब्लॉक हो पाया है या नहीं।
  • कार्ड ब्लॉक करने के बाद कार्ड होल्डर डिस्प्यूट फॉर्म को भरकर संबंधित बैंक को ईमेल पर भेजें। इनकी हॉर्ड कॉपी बैंक के मुख्यालय को अवश्य भेजें और यदि बैंक इजाजत दे तो जिस बैंक में आपका अकाउंट है उसमें जमा करें। यदि अकाउंट नहीं है तब बैंक के कस्टमर केयर से बात कर किसी भी बैंक की शाखा में जमा कर सकते हैं।
  • अब जितनी जल्दी हो सके ऑनलाइन पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं और उसका रेफरेंस नंबर या स्क्रीनशॉट जरुर ले लें। बाद में आप चाहें तो स्क्रीनशॉट को बैंक को दे दें।
  • पुलिस स्टेशन में जाकर आईटी एक्ट 2000 की धारा 66ए के तहत मामले की एफआईआर दर्ज कराएं।
  • पुलिसकर्मी अक्सर एफआईआर दर्ज करने से बचने के लिए शिकायत पत्र की कॉपी पर ही रिसीविंग देकर पीड़ित को टालने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसे मामले में एफआईआर बेहद जरूरी है। इसलिए आप एफआईआर जरुर दर्ज कराएँ।
  • पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराने के बाद पीड़ित को साइबर सेल में जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
  • पुलिस स्टेशन में 3 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करायी जानी चाहिए। उसके बाद पूरी जवाबदेही बैंक की होगी।
  • यदि ग्राहक 4 से 7 कार्यदिवस में शिकायत करता है तो लेनदेन की अधिकतम देनदारी प्राथमिक खातों (बीसीबीडी) के मामले में 5,000 रुपए तथा अन्य बचत खातों तथा क्रेडिट कार्ड (5 लाख रुपए तक की सीमा) के लिए 10,000 रुपए की देनदारी बनेगी।
  • जबकि 7 कार्य दिवस से अधिक समय तक आप गड़बड़ी या धोखाधड़ी की जानकारी नहीं देते हैं तो बैंक की नीति के अनुसार ग्राहकों की देनदारी तय की जाएगी।
  • बैंक खाते की स्टेटमेंट, एफआईआर कॉपी, अपना आईडी प्रूफ के साथ ही एक एप्लीकेशन में पूरा विवरण लिखकर जमा कराएं। साइबर सेल से रिसीविंग लेना न भूलें। इसके बाद साइबर सेल पीड़ित के बैंक के साथ कोऑर्डिनेट करके पीड़ित का पूरा पैसा वापस कराने में मदद करेगी।
  • वहीं एफआईआर दर्ज नहीं होने की सूरत में पीड़ित को उसका पैसा मिलने की संभावना न के बराबर होती है। पैसा लौटाने के लिए बैंक को भी कोई सुबूत की जरूरत होती है। वह अपने डेटाबेस में एफआईआर दिखाकर उसके एवज में ही पैसा पीड़ित को वापस लौटाता है।
  • यदि थाने में आपकी शिकायत पर FIR दर्ज नहीं होती है तो आप SSP के पास जाकर अपील कर सकते हैं। आप SSP से FIR दर्ज कराने की मांग के साथ ही एफआईआर दर्ज न करने वाले SHO के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर सकते हैं।
  • आप बैंक कंज्यूमर ग्रीवांस सेल से लगातार कम्यूनिकेशन बनाए रखें और अपने मामले की जानकारी लेते रहें।
  • इस तरह की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों का निपटान 90 दिनों के भीतर करना होता है। यदि फैसला आपके पक्ष में आए तो बैंक से एनओसी लेना न भूलें।
  • बैंक की वेबसाइट पर महत्वपूर्ण अधिकारियों के अलावा शिकायत निवारण अधिकारी का नाम,पद, पता और संपर्क सूत्र आदि होते हैं। शिकायत निवारण की प्रक्रिया और समय सीमा भी बैंक की वेबसाइट पर देखी जा सकती है। बैंक ग्राहकों की ओर से मिली शिकायत के बाद शिकायत संख्या/ डॉकेट संख्‍या देता है, चाहे वह शिकायत फोन से ही क्यों न दर्ज कराई गई हो।
  • यदि की गई शिकायत पर संतोषजनक कार्रवाई न की जाए तो आप नोडल अधिकारी से संपर्क करें।
  • फिर भी की गई शिकायत पर फिर भी कार्रवाई न की जाए तो रिजर्व बैंक की तरफ से जारी की गई इस वेबसाइट bankingombudsman.rbi.org.in पर बैंकिंग लोकपाल से संपर्क करें। और मामले की शिकायत दर्ज कराएं। इसमें नुकसान, शिकायत से जुड़े खर्च, वित्तीय नुकसान, मानसिक परेशानी के बदले मुआवजे की मांग की जा सकती है।
  • इसके बावजूद बैंक आपकी सुनवाई नहीं कर रहा है तो फिर आप अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार