नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने आधार कार्ड की अनिवार्यता और नंबर शेयर करने पर बहुत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। न्यायालय ने आधार पर फैसला सुनाते हुए इसे संवैधानिक रूप से वैध तो माना, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि इसे हर किसी से शेयर करना जरूरी नहीं है। न्यायालय ने अपने फैसले में साफ किया कि आधार नंबर कहां देना जरूरी है और कहां देना जरुरी नहीं है। न्यायालय ने केंद्र को हिदायत भी दी है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया।
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले के दौरान क्या कहा:-
- आधार आम लोगों के हित के लिए काम करता है और इससे समाज में हाशिये पर बैठे लोगों को फायदा होगा।
- आधार डेटा को 6 महीने से ज्यादा डेटा स्टोर नहीं किया जा सकता है। 5 साल तक डेटा रखना बैड इन लॉ है।
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए कहा कि प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकती हैं।
- आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। इसके डुप्लिकेट होने का कोई खतरा नहीं है। आधार एकदम सुरक्षित है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने लोकसभा में आधार बिल को वित्त विधेयक के तौर पर पास करने को सही ठहराया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार बायॉमीट्रिक डाटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए सरकार से आधार के लिए मजबूत डाटा प्रोटेक्शन कानून लाने के लिए कहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार,आइए जानते हैं अब कहां जरूरी होगा आधार और कहां नहीं जरुरी होगा।
आधार कार्ड कहां जरूरी है:-
- पैन कार्ड बनाने के लिए आधार कार्ड जरूरी होगा। इसके बाद आधार को पैन कार्ड से लिंक भी कराना होगा।
- आयकर रिटर्न भरने के लिए भी आधार नंबर की डिटेल्स फाइल करनी होगी।
- आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भी आधार नंबर जरूरी होगा।
- सरकार की लाभकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ पाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य होगा। लेकिन यह भी कहा गया है कि किसी को भी आधार न होने के चलते इन योजनाओं का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता है।
आधार कार्ड कहां नहीं जरूरी है:-
- मोबाइल सिम के लिए कंपनी आपसे आधार नहीं मांग सकती है।
- बैंक अकाउंट खोलने के लिए आधार नंबर नहीं मांग सकते हैं।
- मोबाइल वॉलेट के केवाईसी के लिए भी अब आधार देने की जरूरत नहीं होगी।
- स्कूल प्रवेश के समय बच्चे का आधार नंबर नहीं मांग सकते हैं। यह बच्चों के माता-पिता की मर्जी पर निर्भर करेगा कि वे स्कूल में बच्चों का आधार नंबर देना चाहते हैं या नहीं।
- सीबीएसई, नीट और यूजीसी की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं है।
- सीबीएसई, बोर्ड एग्जाम में शामिल होने के लिए छात्रों से आधार की मांग नहीं की जा सकती है।
- 14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नहीं होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरूरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।
- म्युचुअल फंड, शेयर मार्केट के केवाईसी के लिए भी आधार कार्ड देने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है।
- टेलिकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स फर्म, प्राइवेट बैंक और अन्य इस तरह के संस्थान आधार की मांग नहीं कर सकते हैं।