पैरोल क्या है
पैरोल का अर्थ है किसी अपराधी द्वारा अपनी सजा का एक बड़ा भाग काटने के बाद, अच्छे आचरण की वजह उसे जेेल से मुक्त किया जाना। हीरालाल बनाम बिहार राज्य(1977) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबी अवधि के कैदियों को अस्थायी पैरोल पर छोड़ा जाना चाहिए। अस्थायी पैरोल का अर्थ है कुछ समय के लिए व्यक्ति को जेल से छोड़ देना और पैरोल का समय समाप्त होते ही वापस जेल भेज देना।
पैरोल के नियम क्या हैं
- जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी को साल में दो बार पैरोल मिलती है। ताकि वह अपने परिवार में किसी समारोह, दुख या खुशी में शरीक हो सके।
- जबकि कृषि से संबंधित कैदी के लिए यह समय 6 सप्ताह व सामान्य कैदी के लिए 4 माह का होता है।
- ऐसे में जो कैदी पैरोल पर जाकर वापस आने की बजाए भगौड़े हो जाते हैं। ऐसे कैदियों पर पंजाब गुड कंडक्ट प्रिजनर एक्ट 1962 के सेक्शन 8 की धारा ((2)) के तहत कार्रवाई होती है। इसमें दो साल की कैद व जुर्माने का भी प्रावधान है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कैदी का आचरण जेल में अच्छा रहता है तो उसे वर्ष में दो सप्ताह पैरोल पर छोड़ देना चाहिए।
पैरोल पर छूटे व्यक्ति पर शर्तें -
- व्यक्ति नशा नहीं करेगा,
- शराब के अड्डों पर नहीं जायेगा,
- जुआ नहीं खेलेगा,
- हथियार नहीं रखेगा,
- शिकार नहीं करेगा,
- अच्छे नागरिक की तरह जीवन बिताएगा,
- कानून का पालन करेगा,
- अपराधियों को पत्र नहीं लिखेगा,
- देर रात तक बाहर नहीं घूमेगा,
- वेश्याओं के पास नहीं जायेगा,
- किसी निश्चित क्षेत्र में रहेगा,
- नाच-गाना नहीं करेगा,
- बिना इजाजत शादी नहीं करेगा,
- नौकरी नहीं बदलेगा,
- पशुओं को जान से नहीं मारेगा।
पैरोल की शर्तें तोड़ने पर सजा-
पैरोल की शर्तें तोड़ने पर व्यक्ति को वापस जेल भेजा जा सकता है। और सजा के शेष भाग को भुगतना पड़ सकता है। अगर व्यक्ति पैरोल पर छोड़े जाने के बाद दोबारा जुर्म करता है तो उसे पैरोल दोबारा नहीं मिलेगा।
प्रोबेशन (अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958) और पैरोल में अंतर
प्रोबेशन और पैरोल में अंतर यह है कि पैरोल में सजा का कुछ भाग माफ होता है, जबकि प्रोबेशन में पूरी सजा ही माफ कर दी जाती है। यदि किसी व्यक्ति को प्रोबेशन पर छोड़ा जाता है तो प्रोबेशन को सजा नहीं माना जाता है।
प्रोबेशन पर छोड़ना-
(1) अपराधी को चेतावनी देकर छोड़ देना। (2) अच्छे आचरण की शर्त पर छोड़ देना।
प्रोबेशन का लाभ 21 वर्ष से कम आयु के अपराधी को दिया जाता है। यदि 21 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति आईपीसी की धारा 379, 380, 391, 404, 420 का अपराध करता है तो चेतावनी या भर्त्सना करके छोड़ा जा सकता है, लेकिन आदतन अपराधी को या उम्र कैद वाले अपराधी को या देश छोड़ने की सजा मिलने वाले व्यक्ति को प्रोबेशन पर नहीं छोड़ा जा सकता है । पहली बार जुर्म करने वाले किसी भी उम्र के अपराधी को केवल तभी छोड़ा जा सकता है, जब उसने 2 वर्ष से कम की सजा वाला अपराध किया हो।
प्रोबेशन पर शर्तों का पालन-
- प्रोबेशन का लाभ लेने वाले को कोर्ट की शर्तों को मानना होगा,
- कुछ सुरक्षा धन जमा करना होगा,
- कोर्ट की आज्ञा के बिना अपना निवास स्थान नहीं बदल सकता,
- किसी दूसरे शहर या राज्य का निवासी नहीं बन सकता,
- बिना कोर्ट की आज्ञा शादी नहीं कर सकता,
- कोर्ट की आज्ञा के बिना यात्रा नहीं कर सकता,
- प्रोबेशनर जमानत पत्र भरना होगा,
- यदि शर्तों का पालन नहीं करेगा तो दोगुना दंड मिलेगा,
- प्रोबेशन अधिकारी की आज्ञा के बिना कोई कार्य नहीं करेगा,
यदि कोई अपराधी प्रोबेशन की शर्तों को तोड़ता तो कोर्ट धारा 9 के अनुसार गिरफ्तारी वारंट जारी करता है, यदि कोर्ट ठीक समझता है तो जमानत लेने वालों को भी समन जारी करता है, प्रोबेशनर के कोर्ट में पेशी के बाद उसे मूल अपराध की सजा भुगतने के लिए जेल में भेज दिया जाता है या 50 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।