डाक कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे ग्राहकों से विनम्रता से पेश आएं और उनकी जरूरतों को समझें।
वरिष्ठ व विकलांग नागरिक किसी भी पोस्ट-ऑफिस में लाइन में लगे बिना अपना काम करा सकते हैं।
पोस्ट-ऑफिस में शुरू की जा रही नई सुविधाओं की जानकारी डिस्प्ले होनी चाहिए।
पोस्ट-ऑफिस परिसर में ग्राहकों के बैठने, लिखने के लिए डेस्क व ग्लू आदि होना चाहिए।
पोस्ट-ऑफिस के काम के घंटे डिस्प्ले होने चाहिए। आमतौर पर ड्यूटी का वक्त सुबह 9 से शाम 5 बजे तक का होता है लेकिन अक्सर अलग-अलग सेवाओं के लिए अलग-अलग वक्त तय होता है।
कोई भी परेशानी होने पर पोस्टमास्टर से संपर्क करें। आपकी मदद करना उनकी जिम्मेदारी है।
स्पीड-पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल, वीपी या इन्श्योर्ड आर्टिकल के लिए डाक टिकट लेने की जरूरत नहीं।
सड़कों पर लगे लेटर-बॉक्स सही हालत में हों और उन पर अगली निकासी (सुबह-दोपहर, दो बार क्लियरिंग) का समय लिखा हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर का काम है।
यदि आपकी स्पीड-पोस्ट वक्त पर डिलिवर न हो तो आप बुकिंग ऑफिस से बुकिंग राशि वापस मांग सकते हैं। यह राशि 50 ग्राम तक वजन के लिए लोकल स्पीड-पोस्ट में 12 रुपये और नैशनल स्पीड-पोस्ट में 25 रुपये होती है। लोकल स्पीड-पोस्ट अगले दिन और नैशनल स्पीड-पोस्ट दो-तीन दिन में डिलिवर हो जानी चाहिए।
स्पीड-पोस्ट के गुम हो जाने पर डाक विभाग बुकिंग रकम का दोगुना मूल्य भुगतान करता है।
किसी भी पत्र आदि के खो जाने पर डाक विभाग की जिम्मेदारी सीमित है। इन्श्योर्ड लैटर या पार्सल के गुम हो जाने की स्थिति में विभाग निश्चित रकम ही वापस देता है।
पोस्ट-ऑफिस में डाक टिकटें, पोस्टकार्ड या दूसरी डाक सामग्री उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित कराना पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी है। काम के घंटों में पोस्टमास्टर का अपने ऑफिस में मौजूद होना आवश्यक है।
पोस्ट-ऑफिस का कोई भी कर्मचारी मनीआर्डर फॉर्म भरने या ऐसी किसी भी दूसरी सेवा के लिए पैसे की मांग नहीं कर सकता है।
(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें।
(ख)स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।
(ग)भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें।
(घ)देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें।
(ङ)भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।
(च)हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
(छ)प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।
(ज)वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें ।
(झ)सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें।
(ञ)व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।
(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।