रांची (झारखंड) । प्रधानमंत्री आवास योजना में झारखंड में सरकारी प्रतिनिधियों की मिलीभगत से पच्चीस हजार लाभुकों ने करोड़ों रुपए की राशि का घपला किया है। इन लाभुकों ने आवास का पैसा तो लिया, लेकिन आवास का निर्माण ही नहीं किया। ऐसे कई घपलेबाजों के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवायी है। और नोटिस देकर पूछा है कि उन्होंने रुपए लेने के बावजूद अपने आवास का निर्माण क्यों नहीं किया है। इसके अलावा काम पूरे करने के लिए एक निश्चित समय सीमा तय कर थाने में इनसे बॉंड भी भरवाया जा रहा है।
इस घपले में सबसे हैरानी की बात यह है कि सरकार के प्रतिनिधियों ने बिना जांच के जीईओ टैगिंग की। इस टैगिंग के आधार पर ही लाभुकों को आवास की किश्त जारी होती है। इससे पता चलता है कि प्रतिनिधियों की मिलीभगत के बिना करोड़ों की राशि में गड़बड़ी संभव नहीं है। मामले का खुलासा होने के बाद ग्रामीण विकास विभाग मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने सभी जिलों से रिपोर्ट तलब की है और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि में गड़बड़ी करने वाले लाभुकों को नोटिस देने का काम सभी जिलों में शुरू हो गया है। जब बार-बार की नोटिस के बाद भी लाभुकों ने आवास निर्माण का काम पूरा नहीं किया तो प्रशासन ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। चतरा, जमशेदपुर, हजारीबाग, साहिगंज और कोडरमा में सैकड़ों लाभुकों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इसके साथ ही एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद काम पूरे करने के लिए एक निश्चित समय सीमा तय कर थाने में इनसे बॉंड भी भरवाया जा रहा है। झारखंड में लगभग एक तिहाई लाभुक हर साल किसी न किसी कारण से आवासों का काम या तो अधूरा छोड़ रहे हैं या काम ही शुरू नहीं करा रहे हैं। राजधानी रांची में केवल शहरी क्षेत्र में 2000 से अधिक आवासों के लाभुकों ने पैसे लेने के बाद भी मकान बनाने का काम शुरू नहीं किया, जबकि ग्रामीण इलाकों में भी करीब इतनी ही संख्या है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के वर्टिकल - 4 के तहत गरीबों को आवास के लिए राशि दिए जाने की व्यवस्था है। शहरी क्षेत्र के लोगों को अपनी जमीन पर आवास बनाने के लिए 2 लाख 25 हजार रुपये सरकार की ओर से दिए जाते हैं, जबकि लगभग एक लाख रुपये या चाहें तो उससे अधिक लाभुक को खर्च करने हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में आवास के लिए एक लाख 20 हजार और नक्सल प्रभावित इलाकों में एक लाख 30 हजार रुपये लाभुकों को दिए जाने का प्रावधान है। सरकार की ओर से दी जाने वाली रकम का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है। इसमें पहली किस्त के रूप में लाभुक को 45 हजार और 25 हजार रुपये दिए जाते हैं। बाकी किस्तें काम के आगे बढऩे के निर्धारित क्रम में दिए जाने का प्रावधान है। योजना में जीईओ टैगिंग भी अनिवार्य है।