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उत्तर प्रदेश और पंजाब के सरकारी बाबू सबसे भ्रष्ट

उत्तर प्रदेश और पंजाब के सरकारी बाबू सबसे भ्रष्ट

नई दिल्ली । दुनियाभर में भ्रष्टाचार के मामले में भारत की रैंकिंग की स्थिति के बारे में तो आपने पढ़ा ही होगा। अब ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स ने भारत में भ्रष्टाचार को लेकर एक नया आंकड़ा जारी किया है। भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2018 नामक रिपोर्ट में ऑनलाइन कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में संपत्ति पंजीकरण, पुलिस और नगरपालिका निगम सबसे भ्रष्ट संस्थाएं हैं। 2018 के इस सर्वे में 56 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्हें सरकारी कार्यालयों में काम कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ी। जबकि 2017 में रिश्वत देने का यह आंकड़ा 45 ही फीसदी था।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स द्वारा भारत के 215 जिलों में 50 हजार नागरिकों पर यह सर्वे कराया। जिसमें मेट्रो शहरों से 25 फीसदी,  द्वितीय श्रेणी के शहरों से 34 फीसदी और तृतीय श्रेणी के शहरों से 21 फीसदी लोगों को शामिल किया गया है।  देशभर में कराए गए इस सर्वे में 79 फीसद लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले बाबू सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं। जबकि पंजाब में 56 फीसदी और मध्य प्रदेश में 50 फीसदी बाबू भ्रष्ट हैं। इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली भी दूध की धुली नहीं है। सर्वे के अनुसार 46 फीसदी लोगों ने यह स्वीकार किया कि उन्हें पिछले एक साल में दिल्ली के सरकारी कार्यालयों में काम कराने के लिए घूस देनी पड़ी। गौरतलब है कि 2017 के मुकाबले एक साल में घूस देने के मामले में 11 फीसदी की रिकार्ड वृद्धि हुई है। 

भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2018 नाम से जारी इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 91 फीसदी लोगों ने राज्य सरकारों के दावों की पोल खोलते हुए बताया कि उनको पता नहीं है कि उनकी राज्य सरकारों के पास भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन नंबर है। जबकि 82 फीसदी लोगों बताया कि स्थानीय प्रशासन या राज्य सरकार ने पिछले एक साल में भ्रष्टाचार को रोकने के दावों के अलावा उनके लिए कुछ भी नहीं किया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स के ऑनलाइन सर्वेक्षण से इस बात की पुष्टि होती है कि राज्य सरकारों ने भ्रष्टाचार से लड़ने और जागरुकता पैदा करने के लिए कोई ठोस कोशिश नहीं की है। 

हालांकि देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संसद ने भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) अधिनियम 2018 पारित किया है। यह कानून घूस लेने और देने वाले दोनों को दोषी ठहराता है। इसमें रिश्वत देने वाले को 7 साल की सजा या जुर्माना या सजा और जुर्माना दोनों लगाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि आरोपी को अपना पक्ष रखने के लिए सात से 15 दिन का समय दिया जाएगा। लेकिन अब देखना यह होगा कि इस कानून के आने के बाद भ्रष्टाचार में कमी आती है या फिर रिश्वतखोरी का यह सिलसिला हमेशा जारी रहेगा।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार