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चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव फिर दोषी करार

चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव फिर दोषी करार

रांची (झारखंड)। सीबीआई की रांची स्थित विशेष अदालत ने चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को दोषी करार दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया है। लालू यादव सहित अन्य 15 दोषियों को 3 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। स्पेशल सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने यह फैसला सुनाया। फैसला सुनाने के बाद लालू यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है वह 3 जनवरी तक रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रहेंगे। उन्हें दोषी करार दिए जाने के बाद बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल ले जाया गया। कोर्ट का फैसला सुनते ही लालू ने कहा- ये क्या हुआ? लालू यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर खुद को जेल भिजवाने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया। वहीं चारा घोटाला मामले में रिहा होने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि ये सब सीबीआइ का किया धरा था, मैं लालू का चिर विरोधी रहा, कभी साथ नहीं था। 

जबकि लालू के दोषी करार दिए जाने के बाद प्रशंसकों में जहां गुस्सा और हताशा साफ-साफ देखा जा रहा है वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ने कहा कि हम इस जजमेंट को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। हमने पहले ही चाइबासा मामले में हाईकोर्ट में अपील की है। जमानत की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब हाईकोर्ट खुलेगा। नीतीश कुमार और बीजेपी शुरू से ही लालू जी को बदनाम करने में और उनकी इमेज को खराब करने में जुटी हुई है। 

आपको बता दें कि घोटाले के वक्त लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे। करीब 90 लाख रुपए के घोटाले में कोर्ट ने उन्हें यह सजा सुनाई है। वहीं इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा सहित सात लोगों को बरी कर दिया गया है। यह मामला देवघर जिला कोषागार से 84.5 लाख की फर्जी निकासी (आरसी 64ए/96) का है। इस मुकदमा के 34 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि एक सीबीआइ का अनुमोदक बन चुका है। इसके पहले भी लालू प्रसाद यादव तथा डॉ. जगन्नाथ मिश्र चारा घोटाला के एक अन्य मामले में दोषी करार दिए जा चुके हैं।

गौरतलब है कि पुलिस ने 1994 में संयुक्त बिहार के देवघर, गुमला, रांची, पटना, चाईबासा और लोहरदगा समेत कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले दर्ज किए। धड़ाधड़ गिरफ्तारियां होने लगी तो पटना हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जांच का काम सीबीआई को सौंपा। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी चपेट में आ गए। आरोप पत्र दाखिल होते ही उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा और बाद में कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी। चारा घोटाले के 54 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें रांची सीबीआइ में 53 और भागलपुर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले की सुनवाई पटना सीबीआइ कोर्ट में चल रही है। अधिवक्ताओं के अनुसार इसमें अबतक 47 मामलों में फैसला आ गया है। जिसमें 1404 आरोपियों को सजा मिली है। कई अभियुक्त वैसे हैं जो अन्य मामलों में भी अभियुक्त हैं। मूल रूप से करीब 160 आरोपी हैं। रांची में छह मामले  अभी और बचे हैं। चार वैसे मामले हैं जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा सहित नेता व पशुपालन पदाधिकारी शामिल हैं। वहीं दो मामलों में आपूर्तिकर्ता व अधिकारी शामिल हैं। चारा घोटाला में वर्ष 2004 से फैसला सुनाया जाना शुरू हुआ था।

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार