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आपके कंप्यूटर पर केंद्रीय एजेंसियों की होगी नज़र

आपके कंप्यूटर पर केंद्रीय एजेंसियों की होगी नज़र

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कंप्यूटर और डेटा की निगरानी को लेकर नया नोटिसफिकेशन जारी किया है। इसके तहत आइटी कानून 2000 और 2009 में विशेष परिस्थितियों में जांच व सुरक्षा एजेंसियों को लोगों के निजी कंप्यूटर नेटवर्क की निगरानी का अधिकार दिया गया है। लेकिन सचिव की अनुमति के बिना किसी के कंप्यूटर की निगरानी नहीं की जा सकती है। सरकार का कहना है कि देश में आतंकवाद और साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को देखते हुए निगरानी के तंत्र को सुचारू रूप देना जरूरी है।

गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है जिसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है। देश की दस केंद्रीय एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और सुरक्षित डेटा समेत किसी भी जानकारी की निगरानी, इंटरसेप्ट और डिक्रिप्ट कर सकती हैं। लेकिन यह निगरानी केवल गृह सचिव की अनुमति से ही की जा सकती है। इसके अनुसार सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिक को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आशंका निराधार है कि एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर की निगरानी का असीमित अधिकार दे दिया गया है। इसी तरह राज्यों में एजेंसियों को मुख्य सचिव की अनुमति से निगरानी का अधिकार पहले से है।

गृह मंत्रालय के अनुसार समस्या यह थी कि कोई भी एजेंसी गृह सचिव से किसी व्यक्ति के निजी कंप्यूटर की जांच के लिए अनुमति की मांग कर देता था। इस स्थिति से बचने के लिए निगरानी करने वाली एजेंसियों को सुनिश्चित कर दिया गया है। अब केवल खुफिया ब्यूरो, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व आसूचना निदेशालय, सीबीआइ, एनआइए, रॉ जम्मू-कश्मीर, असम व पूर्वोत्तर में कार्यरत डायरेक्टोरेट आफ सिंगल इंटेलीजेंस और दिल्ली पुलिस को ही किसी की कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार होगा। दूसरी कोई भी एजेंसी निगरानी नहीं कर सकेगी। दस एजेंसियों को निगरानी के अधिकार का नोटिफिकेशन गृह मंत्रालय में ताजा बने साइबर सुरक्षा विभाग की ओर जारी किया गया है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि साइबर सुरक्षा विभाग ने देश में आतंकवाद और साइबर अपराध के विश्लेषण के बाद निगरानी तंत्र को सुचारू करने की जरूरत महसूस की और इसके बाद ही दस एजेंसियों को इसके लिए चिह्नित किया गया।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

आधार की प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए UIDAI ने अब नया क्यूआर कोड (QR code) जारी किया है। जिसे 12 अंकों का आधार नंबर बताए बिना ऑफलाइन यूजर वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिव्यांग का अधिकार

बंदी (कैदी) का अधिकार

भवन निर्माण का अधिकार

साइबर (इंटरनेट) सेवा का अधिकार