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उत्तराखंड तकनीकि यूनिवर्सिटी में पीएचडी-बीटेक फर्जीवाड़ा

उत्तराखंड तकनीकि यूनिवर्सिटी में पीएचडी-बीटेक फर्जीवाड़ा

देहरादून (उत्तराखंड)। उत्तराखंड तकनीकि विश्वविद्यालय में एक और अनोखा फर्जीवाड़ा सामाने आया है। जांच समिति की प्राथमिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विश्वविद्यालय अधिकारियों की जानकारी के बिना ही पीएचडी और बीटेक का परीक्षाफल जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं बिना किसी कागजी औपचारिकता के परीक्षाफल भी संशोधित कर दिया गया। इसलिए प्रशासन द्वारा गठित जांच समिति ने इस मामले की जांच विजिलेंस विभाग से कराने की सिफारिश की है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड शासन के निर्देश पर गठित जांच समिति ने प्राथमिक जांच में पाया है कि न केवल पीएचडी बल्कि बीटेक की परीक्षाओं में भी बड़ी गड़बड़ी हुई है।  जांच में यह बात सामने आयी है कि पीएचडी और बीटेक के परीक्षाफल से संबंधित कागजी दस्तावेज ही नहीं हैं। इसमें न तो कॉपी का मूल्यांकन हुआ और न नंबर ही चढ़ाए गए हैं। इनके परीक्षाफल केवल कंप्यूटर में एक्सल शीट में बनाए गए और परीक्षाफल कंप्यूटर से ही सीधा  प्रिंट निकालकर दे दिए गए। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि जो परीक्षाफल विश्वविद्याल ने जारी किया था, उस पर विश्वविद्यालय के किसी भी आधिकारी हस्ताक्षर नहीं था। कुछ छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का तो दोबारा मूल्यांकन भी करा लिया गया और रिवाइज परीक्षाफल भी जारी कर दिया गया। इस पुर्नमूल्यांकन के लिए किसने आदेश किए, इसका भी कोई प्रमाण विश्वविद्यालय में उपलब्ध नहीं है।

इसके अलावा जांच समिति ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा समन्वयक की जिम्मेदारी संभालने वाले अरुण कुमार शर्मा पर भी सवाल खड़े किए हैं। जांच समिति का कहना है कि नियम विरुद्ध पीएचडी प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी ऐसे व्यक्ति को दी गई, जो कि खुद वहां से पीएचडी कर रहा है और जो उपनल के माध्यम से भर्ती है। जबकि अरुण कुमार शर्मा का कहना है कि उन्हें न तो ऐसी किसी जांच की जानकारी है और न ही उन्होंने कोई नियम विरुद्ध काम किया है। कुलपति के निर्देश पर उन्होंने केवल ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराया था, जिसके पूरे दस्तावेज विश्वविद्यालय में उपलब्ध हैं। उन्होंने जांच समिति को फर्जी करार दिया और कहा कि भविष्य में अगर उनसे सवाल पूछा जाएगा तो वह जवाब देने को तैयार हैं।

हालांकि शासन ने करीब चार माह पूर्व विश्वविद्याल प्रशासन को मामले में कार्रवाई के आदेश जारी किए थे, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं गई। वहीं अब गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद विश्वविद्याल की कुलसचिव प्रो. अनीता रावत का कहना है कि मामले में कार्रवाई की जा रही है।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

आधार की प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए UIDAI ने अब नया क्यूआर कोड (QR code) जारी किया है। जिसे 12 अंकों का आधार नंबर बताए बिना ऑफलाइन यूजर वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिव्यांग का अधिकार

बंदी (कैदी) का अधिकार

भवन निर्माण का अधिकार

साइबर (इंटरनेट) सेवा का अधिकार