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लखनऊ नगर आयुक्त के खिलाफ एतिहासिक फैसला

लखनऊ नगर आयुक्त के खिलाफ एतिहासिक फैसला

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। यदि आप नगर निगम की लापरवाही के चलते घर के आस-पास फैली गंदगी से परेशान है तो लखनऊ जिला उपभोक्ता फोरम का एतिहासिक फैसला आपके लिए राहत की खबर है। फोरम के न्यायिक अधिकारी राजर्षि शुक्ला ने नगर निगम को लापरवाही के लिए दोषी ठहराते हुए नगर आयुक्त का एक वर्ष का वेतन काटने का आदेश दिया।और साथ ही 15 दिनों में इन समस्याओं से निजात दिलाने का आदेश भी पारित किया है।

आपको बता दें कि लखनऊ शहर निवासी डॉ. आनंद अखिला ने कॉलोनी के आसपास फैली गंदगी से परेशान होकर साफ-सफाई के लिए कई बार नगर निगम के चक्कर लगाए, लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने उनकी सुनवाई नहीं की। इससे परेशान होकर उन्होंने मई, 2017 में जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम लखनऊ के सामने (वाद संख्या-197/17) शिकायत की थी । इसमें उन्होंने कहा था कि वह नगर निगम को नियमित रूप से हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स देते हैं और यह उनका अधिकार बनता है कि नगम निगम उन्हें एक उपयुक्त और स्वच्छ वातावरण मुहैया कराए। डॉ. आनंद अखिला ने साक्ष्यों के माध्यम से शहर की बदहाल स्थिति कोर्ट के सामने रखी, जिन पर गौर करने के बाद बेंच ने नगर निगम के जवाबों को नकार दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम के न्यायिक सदस्य राजर्षि शुक्ला और अध्यक्ष अरविंद कुमार ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए आदेश दिया कि शिकायकर्ता डॉ. अखिला को नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का एक वर्ष का वेतन काटकर दिया जाए। इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि 15 दिन के भीतर, जहां डॉ. अखिला रहते हैं, उसके आसपास सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए। कोर्ट ने कहा कि यदि 15 दिन में अनुपालन न किया गया तो डॉ. अखिला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27 के तहत कानूनी प्रक्रिया के लिए अधिकृत होंगे। नगर निगम के काम से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति साफ-सफाई, खुले मेनहोल अथवा आवारा पशुओं की समस्या आदि के लिए उपभोक्ता अदालत में वाद दाखिल कर सकेगा।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

आधार की प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए UIDAI ने अब नया क्यूआर कोड (QR code) जारी किया है। जिसे 12 अंकों का आधार नंबर बताए बिना ऑफलाइन यूजर वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिव्यांग का अधिकार

बंदी (कैदी) का अधिकार

भवन निर्माण का अधिकार

साइबर (इंटरनेट) सेवा का अधिकार