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अब अस्पतालों की मनमानी पर लगेगी लगाम

अब अस्पतालों की मनमानी पर लगेगी लगाम

नई दिल्ली । आखिरकार अस्पतालों में मरीजों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण और अमानवीय व्यवहार को रोकने के लिए केंद्र सरकार सख्त कानून लाने जा रही है। भुगतान न होने की स्थिति में मरीज या मरीज के शव को अस्पताल में रोके जाने जैसी अमानवीय हरकतों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीजों के अधिकारों को लेकर एक चार्टर जारी किया है। यदि यह चार्टर लागू हो गया, तो अस्पताल बिल भुगतान पर विवाद होने की स्थिति में मरीजों को छुट्टी देने से इन्कार नहीं कर सकेंगे। वे मरीजों के रिश्तेदारों को शव सौंपने से भी इन्कार नहीं कर पाएंगे। यदि ऐसा करते हुए वे पाए गए तो उन्हें इसके लिए अपराधी माना जाएगा। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी चार्टर के अनुसार:- 

  • अस्पताल भुगातन को लेकर किसी भी हालत में अपने यहां मरीजों को बंधक बनाकर नहीं रख सकते हैं।
  • वे अस्पताल के बिल में भुगतान को लेकर विवाद जैसे प्रक्रियागत आधार पर मरीजों को छुट्टी देने से इन्कार भी नहीं कर सकते हैं।
  • अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज की देखभाल कर रहे उसके परिजनों को शव देने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
  • अस्पताल के बिल के भुगतान के संबंध में कोई विवाद होता है तो भी शव को अस्पताल में रोककर नहीं रखा जा सकेगा।
  • मरीज और उसके परिवार की शिकायतों का निष्पक्ष और त्वरित निवारण होना चाहिए।
  • मरीज और उसके परिवार की शिकायत मिलने के 15 दिन के भीतर लिखित में इसके निस्तारण की जानकारी उन्हें मिल जानी चाहिए।
  • हर अस्पताल और क्लीनिक को आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना होगा। 

चार्टर के अनुसार राज्यों की जिम्मेदारी:- 

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार चार्टर को राज्य सरकारों के जरिये लागू किया जाए।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार चार्टर का मसौदा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तैयार किया है और इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
  • इस मसौदे को जनता और संबंधित पक्षों से इस पर सुझाव और टिप्पणियां मंगाई गई हैं।
  • राज्य मरीजों के अधिकार चार्टर या मौजूदा कानूनों के मुताबिक जारी आदेशों पर कार्रवाई करेंगे।
  • यदि मरीज के किसी अधिकार का उल्लंघन होता है, तो उसे इसकी शिकायत का अधिकार है। 

चार्टर मसौदे में दिए गए मरीजों के 17 अधिकार:- 

  • सूचना का अधिकार,
  • रिकॉर्ड और रिपोर्ट का अधिकार,
  • आपातकालीन चिकित्सा देखभाल का अधिकार,
  • सूचना पर सहमति का अधिकार,
  • गोपनीयता का अधिकार,
  • मानव गरिमा और गोपनीयता,
  • दूसरा परामर्श लेने का अधिकार,
  • दरों में पारदर्शिता का अधिकार,
  • गैर-भेदभाव का अधिकार,
  • मानकों के अनुसार सुरक्षा और गुणवत्ता देखभाल का अधिकार,
  • उपलब्ध होने पर वैकल्पिक उपचार चयन करने का अधिकार,
  • दवाएं या परीक्षण प्राप्त करने के लिए स्रोत चुनने का अधिकार,
  • उचित रेफरल और हस्तांतरण का अधिकार,
  • नैदानिक परीक्षणों में शामिल रोगियों के लिए सुरक्षा का अधिकार,
  • बायोमेडिकल और स्वास्थ्य अनुसंधान में शामिल प्रतिभागियों की सुरक्षा का अधिकार,
  • रोगी का निर्वहन करने का अधिकार, या अस्पताल से मृतक का शरीर प्राप्त करना,
  • रोगी को शिक्षा का अधिकार, सुनने का अधिकार और निवारण की तलाश का अधिकार।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

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