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योगी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में बीपीएड अभ्यर्थी

योगी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में बीपीएड अभ्यर्थी

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के बेबस और मजबूर बीपीएड अभ्यर्थी अंशकालिक खेल अनुदेशक के पद पर नियुक्ति के इंतजार में अपनी जिंदगी को दांव पर लगाए हुए हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार दो बार हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी इनकी नियुक्ति की बजाय सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिला रही है। जब ये अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर धरना देते हैं, तो पुलिस इन्हें दौड़ा-दौड़ाकर लाठियों से पीटती है, लेकिन ये जुझारु बीपीएड अभ्यर्थी हार मानने को तैयार नहीं हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बेसिक शिक्षामंत्री की कही गई बातें झूठी साबित होने के बाद अब बीपीएड अभ्यर्थी तीसरी बार इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में गए हैं। बीपीएड अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश की अवमानना की तारीख और 12 अप्रैल के आदेश को सरकार के न मानने पर दोबारा हाईकोर्ट की डबल बेंच में अवमानना का केस दायर किया है।  

शशिकान्त दुबे, बीपीएड अभ्यर्थी की दर्द-व्यंग्य भरी कविता

"हर भर्ती फंसा देंगे केस में, आओ तो कभी उत्तर प्रदेश में।

नेता बैठे हैं भेड़ियों के भेष में, आओ तो कभी उत्तर प्रदेश में।

फेकेंगे जुमला इतने पेस में, आओ तो कभी उत्तर प्रदेश में।

बेरोजगारों को नौकरी, सुरक्षा, अधिकार नहीं इस देश में,

कुछ दिन तो गुजारो उत्तर प्रदेश में।

आज झूठ बोलने में इनके सामने कोई नहीं रेस में,

कुछ वर्ष तो बर्बाद करो उत्तर प्रदेश में।"

बीपीएड अभ्यर्थी देवेंद्र पाण्डेय का कहना है कि “हमारी भर्ती को लेकर सरकार की तरफ से रोज-रोज की उम्मीद हमारे जीवन को बेचैन कर रही है। वहीं हाईकोर्ट के आदेश को भी अनदेखा किया जा रहा है। जबकि हमारे पास वह सब कुछ पर्याप्त है, जो हमारी भर्ती को शुरू करने के लिए चाहिए। लेकिन फिर भी हमारी भर्ती नहीं की जा रही है।“ वहीं बीपीएड अभ्यर्थी त्रिवेणी प्रसाद द्विवेदी का आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 मार्च 2018 को अधिकारियों को आदेश दिया था कि 1 सप्ताह के अंदर भर्ती की प्रक्रिया को जल्दी से जल्दी बहाल किया जाए। इसको लेकर 4 अप्रैल 2018 को अधिकारियों के साथ अभ्यर्थियों की बैठक भी हुई थी। इस बैठक में अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 1 सप्ताह के भर्ती प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 12 अप्रैल 2018 को आदेश दिया था कि बीपीएड अभ्यर्थियों की भर्ती 2 महीने के अंदर कर दी जाए और कंप्लाइंस रिपोर्ट सबमिट की जाए। लेकिन इन तानाशाह अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। सरकार पर आरोप है कि उसने 32022 खेल अनुदेशकों की भर्ती में धांधली की समीक्षा करने के नाम पर रोक दिया है।

गौरतलब है कि नवंबर 2016 में निकाली गयी 32022 खेल अनुदेशक भर्ती मेरिट के आधार पर है और कोई भी काउंसलिंग नहीं हुई है। इसलिए यह पूर्णतया सुरक्षित है। अक्सर संविदा की भर्ती में राज्य सरकार बजट का रोना रोती है, जबकि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा पहले ही सिंगल बेंच में राज्य सरकार की यह दलील दलील ठुकरा दी गई और सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है कि बजट के मामले में शिक्षक भर्तियों में राज्य सरकारें बहाने नहीं कर सकती, क्योंकि यह पूर्णतया कैबिनेट से पास होते हुए अनुपूरक बजट में पूर्व मुख्यमंत्री के द्वारा पहले ही पास करवा दिया गया था। इसलिए योगी सरकार राजनीतिक दुश्मनी के लिए इस वैकेंसी को निरस्त नहीं कर सकती। जब मामला न्यायालय में हो को निरस्त करने और भर्ती कराने का अधिकार केवल और केवल माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास है । उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में एक खेल शिक्षक होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश के 32022 स्कूल में अभी भी एक भी खेल शिक्षक नहीं हैं। माना जा रहा है कि प्रदेश में करीब 80 हजार युवा बीपीएड की डिग्री लेकर बैठे हुए हैं और खेल शिक्षक बनने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन सरकार उन्हें नौकरी देने को तैयार नही है। ऐसी दशा में हताश-परेशान ये होनहार बच्चे पकौड़े बेच रहे हैं, चाय बेच रहे हैं, मंदिरों में फूल बेच रहे हैं। हालांकि इन नवजवानों का सपना है कि वह स्कूल के बच्चों को अच्छा खिलाड़ी बनाएं। आखिर इस देश के बच्चों का भविष्य कैसे बचेगा ?

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

आधार की प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए UIDAI ने अब नया क्यूआर कोड (QR code) जारी किया है। जिसे 12 अंकों का आधार नंबर बताए बिना ऑफलाइन यूजर वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिव्यांग का अधिकार

बंदी (कैदी) का अधिकार

भवन निर्माण का अधिकार

साइबर (इंटरनेट) सेवा का अधिकार