Main Menu

सरकारी कर्मचारियों को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ेगा मंहगा

सरकारी कर्मचारियों को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ेगा मंहगा

इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकारी अस्पतालों की हालत के बारे में सख्त आदेश सुनाया। हाईकोर्ट ने चिकित्सा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए डाक्टरों व स्टाफ के 50 फीसदी खाली पदों को शीघ्र भरने का निर्देश दिया। और साथ ही अस्पतालों और मेडिकल केयर सेंटरों की कैग से आडिट कराने तथा सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक जिले में विजिलेंस टीम गठित करने का निर्देश दिया । इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने सरकारी वेतनभोगी कर्मियों और उऩके परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में कराने का निर्देश देते हुए कहा कि किसी को भी वीआईपी ट्रीटमेंट न दिया जाए। कोर्ट सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि ऐसे अधिकारी, कर्मचारी जो सरकारी अस्पताल के बजाए प्राइवेट अस्पताल में इलाज करायें, उन्हें इलाज खर्च की सरकारी खजाने से भरपाई न की जाए। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खण्डपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने तथा कार्यवाही रिपोर्ट 25 सितम्बर को पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर के हालात पर भी रिपोर्ट मांगी है। 

आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों व स्टॉफ के खाली पदों में से 50 फीसदी चार माह में तथा शेष अगले तीन माह में भरने का निर्देश दिया है । साथ ही हर स्तर के सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और कैग को सरकारी अस्पतालों व मेडिकल केयर सेन्टरों की आडिट दो माह में पूरी करने का आदेश दिया है।  विशेष आडिट टीम फंड की उपलब्धता व उपयोग का 10 साल की आडिट करेगी। यदि कोई अनियमितता पायी जाती है कि संबंधित विभाग दोषी अधिकारी पर कार्रवाई करे।  बड़े सरकारी अस्पतालों के बाद जिला स्तर के अस्पतालों की भी आडिट की जाए। इसकी जांच दो माह में पूरी करने के बाद सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की भी आडिट की जाय। सारी प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी कर ली जाय। कोर्ट ने रेडियो डायग्नोसिस व पैथालाजी सेन्टरों की विजिलेन्स से जांच की हर जिले में टीम गठित करने का निर्देश दिया है।

इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकारी डाक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाते हुए कहा है, जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पाये जाय, उनसे नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउन्स की वसूली की जाय। इलाहाबाद में ट्रामा सेन्टर की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के लिए विभागीय कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है।

वहीं  हाईकोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल करने पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं शिक्षा रजनीश दुबे, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद के प्राचार्य डा.एस.पी.सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी की है।  कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आपराधिक मुकदमा कायम किया जाए। यही नहीं दोनों अधिकारियों को कोर्ट ने नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा है कि यह बतायें कि क्यों न इनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई की जाए।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

आधार की प्राइवेसी को मजबूत बनाने के लिए UIDAI ने अब नया क्यूआर कोड (QR code) जारी किया है। जिसे 12 अंकों का आधार नंबर बताए बिना ऑफलाइन यूजर वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिव्यांग का अधिकार

बंदी (कैदी) का अधिकार

भवन निर्माण का अधिकार

साइबर (इंटरनेट) सेवा का अधिकार