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मरीज मुआवजे के लिए दावा कहां करें

मरीज मुआवजे के लिए दावा कहां करें

मरीज मुआवजे के लिए दावा कर सकता है

मरीज हॉस्पिटल में शुल्क अदा करने के बाद मरीज उपभोक्ता की श्रेणी में आ जाता है। वह निजी और सरकारी अस्पतालों और डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में मुकदमा कर सकता है । और मुआवजे की मांग कर सकता है। 

यदि मरीज को लगता है कि हॉस्पिटल में कोई गड़बड़ है या उसका इलाज सही तरीके से नहीं किया गया है तो वह मेडिकल काउंसिल के साथ ही उपभोक्ता अदालत में भी अपील कर सकता है।

  1. जिला उपभोक्ता फोरम में 5 लाख रुपए तक के दावे किये जा सकते हैं ।
  2. राज्य उपभोक्ता आयोग में 5 लाख से 20 लाख तक के दावे किए जा सकते हैं और जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले के विरुद्ध अपील की जा सकती है ।
  3. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 20 लाख से ऊपर के दावे किए जा सकते हैं। यहां पर राज्य उपभोक्ता आयोग के विरुद्ध अपील की जा सकती है ।

उपभोक्ता अदालत में शिकायत की प्रक्रिया-

  • उपभोक्ता न्यायालय में मरीज और उसका मनोनीत एजेंट मुआवजे का दावा कर सकता है ।
  • उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है ।
  • शिकायतकर्ता या उसका एजेंट शिकायत की प्रतिलिपि जमा करा सकते हैं ।
  • शिकायत डाक के द्वारा भी भिजवाई जा सकती है ।
  • शिकायत में शिकायतकर्ता का नाम, पता, हुलिया तथा प्रतवादी का नाम, पता, हुलिया। और शिकायत से संबंधित दस्तावेज यदि हैं तो उन्हें प्रस्तुत करना चाहिए।
  • शिकायत पर शिकायतकर्ता का हस्ताक्षर होना चाहिए।
  • यदि दावा देश की किसी दीवानी अदालत में समक्ष विचाराधीन है तो आयोग ऐसे किसी भी मुद्दे पर विचार नहीं करेगा।
  • सरकारी अस्पतालों की लापरवाही के खिलाफ केवल दीवानी न्यायालयों में मुकदमे किये जा सकते हैं ।
  • डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही साबित करने की जिम्मेदारी मरीज या उसके आश्रितों पर होती है ।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार