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राजस्थान में मृत्यु का पंजीकरण

राजस्थान में मृत्यु का पंजीकरण

राजस्थान में मृत्यु पंजीकरण- 

प्रत्‍येक ग्राम पंचायत /  नगरपालिका /  नगर परिषद /  नगर निगम मुख्‍यालय पर स्थित मृत्यु पंजीयक कार्यालय रजिस्‍ट्रार के कार्यालय में मृत्‍यु की सूचना घटना घटित होने के 21 दिवस की अवधि में परिवार के सदस्‍य या नजदीकी रिश्‍तेदार द्वारा प्रपत्र-1 में प्रपत्र-2 में (मृत्‍यु की सूचना) भरकर देने पर मृत्यु प्रमाण-पत्र निःशुल्‍क प्राप्‍त किया जा सकता है।

मृत्यु की सूचना निर्धारित अवधि 21 दिवस पश्‍चात् परन्‍तु 30 दिवस के अन्‍दर देने पर दो रूपये विलम्‍ब शुल्‍क जमा करवाकर मृत्‍यु प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया जा सकता है।

मृत्यु की सूचना 30 दिवस से अधिक परन्‍तु 1 वर्ष के भीतर स्‍थानीय पंजीयक को देने पर आवेदक द्वारा निर्धारित प्रारूप में नोटरी पब्लिक से प्रमाणित एवं संबंधित जिला पंजीयक (जिला संख्यिकी अधिकारी)/  अतिरिक्‍त जिला पंजीयक ( विकास अधिकारी) से लिखित अनुज्ञा प्राप्‍त एक शपथ पत्र देकर तथा सम्‍बन्धित पंजीयक कार्यालय में पॉंच रूपये विलम्‍ब शुल्‍क जमा करवाकर मृत्‍यु प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया जा सकता है।

मृत्यु पंजीकरण अधिनि‍यम 1969 के नियम 9(3) के अनुसार मृत्यु की घटना चाहे कितनी पुरानी हो, उसका पंजीयक कराया जा सकता है। इसके लिये आवेदक को पॉंच रूपये के नॉन ज्‍यूडिशियल स्‍टाम्‍प पेपर पर शपथ पत्र प्रस्‍तुत करना होगा एवं मृत्यु की घटना घटित होने के क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्‍ट्रेट यथा जिला कलेक्‍टर एवं जिला मजिस्‍ट्रेट/ अतिरिक्‍त जिला कलेक्‍टर एवं जिला मजिस्‍ट्रेट/ सिटी मजिस्‍ट्रेट/उपखण्‍ड अधिकारी/ सहायक कलेक्‍टर एवं मजिस्‍ट्रेट/ तहसीलदार आदि में से किसी एक से उक्‍त घटना के पंजीकृत करवाने हेतु अनुज्ञा प्राप्‍त करेगा अनुज्ञा प्राप्‍त कर आवेदक स्‍थानीय पंजीयक कार्यालय में 10 रूपये विलम्‍ब शुल्‍क जमा करवाकर जन्‍म के पंजीयन हेतु आवेदन कर मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्‍त करेगा। 

  

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार