Main Menu

महिलाओं की मदद और अधिकार

महिलाओं की मदद और अधिकार

पूरे देश में महिलाओं की सहायता के लिए सरकार ने नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों  पर कॉल करके महिलाएं तुरंत मदद पा सकती हैं। 

  • महिला हेल्पलाइन नंबर-(पूरे देश के लिए) 1091/1090  
  • राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी नंबर- 0111-23219750
  • महिला आयोग, दिल्ली द्वारा जारी नंबर 011 23378044/ 23378317/ 23370597
  • पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा जारी नंबर 100
  • चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098
  • एंटी स्टाकिंग सेल द्वारा जारी नंबर 1096। 

महिलाओं के अधिकार 

  • आपराधिक दुर्घटना की शिकार महिला द्वारा थाने में दर्ज कराई प्राथमिकी दर्ज के बाद थाना इंचार्ज की यह जिम्मेदारी है कि वह मामले को तुरंत दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी को भेजे और उक्त संस्था की यह जिम्मेदारी है कि वह पीड़ित महिला को मुफ्त वकील की व्यवस्था कराए। 
  • सीपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 164 के तहत बलात्कार पीड़ित महिला अंडर ट्रायल स्थिति में भी बिना किसी की मौजूदगी में सीधे जिला मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज करवा सकती है। इसके अलावा पीड़ित महिला ऐसे अनुकूल जगहों पर भी एक पुलिस अधिकारी व महिला कांस्टेबल के सामने अपने बयान दर्ज करवा सकती है, जहां पर किसी चौथे व्यक्ति द्वारा उसके बयान को सुने जाने की संभावना न के बराबर हो।
  • किसी महिला के लिए थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाने की कोई समय सीमा नहीं होती और वह जब चाहे प्राथमिकी दर्ज करवा सकती है। पुलिस यह नहीं कह सकती है कि घटना को काफी वक्त हो गया और अब वह प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगा। 
  • दिल्ली में महिलाएं अपनी लिखित शिकायत ई-मेल अथवा रजिस्टर्ड डाक के जरिए उपायुक्त अथवा आयुक्त स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सीधे उनके मेल आईडी अथवा पते पर भेज सकती है। जिसके बाद वह अधिकारी संबंधित इलाके के थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज करने व शिकायतकर्ता के केस में समुचित कार्रवाई करने का निर्देश देगा। यही नहीं, पुलिस पीड़ित के आवास पर जाकर उसका बयान भी दर्ज कर सकता है। 
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश मुताबिक बलात्कार जैसी गंभीर दुर्घटना की शिकार महिला किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकती है। किसी भी थाने जीरो FIR दर्ज होने के बाद उक्त थाने के सीनियर अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित इलाके के पुलिस थाने को कार्रवाई के लिए निर्देशित करे। 
  • यदि किसी महिला का कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न होता है, तो वह यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत इसके खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवा सकती है।
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक महिला को सुर्यास्त के बाद और सुर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। हालांकि गंभीर अपराध में संलिप्त महिला की गिरफ्तारी भी तभी संभव है जब पुलिस मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित गिरफ्तारी के आदेश के प्रति प्रस्तुत करे, जिसमें यह बताना जरूरी है कि रात में महिला की गिरफ्तारी क्यों जरूरी है। 
  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 160 के तहत एक महिला को पूछताछ के लिए थाने पर नहीं बुलाया जा सकता है। हालांकि पुलिस महिला के आवास पर जाकर महिला कांस्टेबल, फेमली मेंबर व मित्र की मौजूदगी में पूछताछ जरूर कर सकती है।
  • आईपीसी की धारा 228ए के तहत बलात्कार पीड़ित महिला की पहचान उजागर करने को अपराध माना गया है। पीड़ित महिला का नाम और पहचान उजागर करने वाले किसी भी ऐसे कृत्य को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • सीपीसी की धारा 164ए के तहत प्रत्येक बलात्कार पीड़ित का मेडिकल जांच जरूरी है और केवल मेडिकल रिपोर्ट ही बलात्कार की पुष्टि के लिए जरूरी है। मसलन, अगर डाक्टर कहता है कि बलात्कार नहीं हुआ तो केस बंद नहीं हो सकता है। मेडिकल जांच की जाएगी, वह किसी महिला द्वारा ही की जाना चाहिए। यही नहीं, मेडिकल रिपोर्ट की एक प्रति भी पीड़ित महिला को डाक्टर से लेने का अधिकार है।
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक यौन उत्पीड़न संबंधी वादों के निपटारे के लिए सभी निजी और सार्वजनिक कार्यालयों में यौन उत्पीड़न शिकायत कमेटी का गठन किया जाना जरूरी हो गया है और उसकी प्रमुख का महिला होना भी आवश्यक है।
  •  

 

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार