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व्यक्ति को जमानत का अधिकार

व्यक्ति को जमानत का अधिकार

जमानत का अधिकार क्या है 

  • जमानत गिरफ्तार व्यक्ति को कुछ शर्तों पर पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त करने की अनुमति है ।
  • अगर अपराध गैर-जमानती नहीं है तो पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत पर छोड़ना ही होगा।
  • अगर पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट पर्याप्त समझे तो व्यक्ति को निजी मुचलके या बंध-पत्र पर भी छोड़ा जा सकता है ।
  • जमानत और मुचलके पर रिहा व्यक्ति को जब भी अफसर या अदालत तलब करे, हाजिर होना होगा। 

जमानतदार कौन होते हैं 

जमानतदार वे व्यक्ति होते हैं जो मुक्त किए गए व्यक्ति की आवश्यकतानुसार थाने या न्यायालय में उपस्थित प्रत्याभूत करते हैं । अगर मुक्त किया गया व्यक्ति पुलिस थाने या न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है तो उसे वह रकम अदा करने के लिए समर्थ होना चाहिए, जिसके लिए वह जमानतदार है। 

अग्रिम जमानत का अधिकार 

यदि किसी व्यक्ति को यह विश्वास है कि उसे किसी गैर-जमानती अपराध के अभियोग में गिरफ्तार किया जा सकता है, तो वह इस धारा के अधीन निर्देश के लिए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय को आवेदन कर सकता है। यदि न्यायालय ठीक समझे तो ऐसी गिरफ्तारी की स्थति में उसे जमानत पर छोड़ा जा सकता है । 

अग्रिम जमानत देने की शर्तें क्या हैं 

  • व्यक्ति पुलिस अधिकारी द्वारा पूछे जाने वाले प्रति प्रश्नों का उत्तर देने के लिए जब भी जरुरत होगी, वह उपलब्ध होगा।
  • अपराध की जांच के दौरान पुलिस की पूछताछ में व्यक्ति को अपनी जानकारी की बातें सही-सही बताते हुए पुलिस के साथ सहयोग करना चाहिए।
  • यदि संभव हो तो अपराध का सुराग भी पुलिस को देना चाहिए और जुबानी पूछताछ का उचित जवाब देना चाहिए।
  • वह उस मामले के तथ्यों से अवगत किसी व्यक्ति को न्यायालाय या किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट ना करने के लिए मनाने के लिए, प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रुप से उसे कोई उत्प्रेरणा,  धमकी या वचन नहीं देगा।
  • वह व्यक्ति ऩ्यायालय की पूर्व अनुज्ञा (आदेश) के बिना भारत नहीं छोड़ेगा।

ऐसी अन्य शर्तें, जो धारा 437 की उपधारा (3) के अधीन ऐसे अधिरोपित की जा सकती हैं मानो उस धारा के अधीन जमानत मंजूर की गयी है । 

  • ऐसे अभियोग पर पुलिस थाने में पुलिस अधिकारी द्वारा वारंट के बिना गिरफ्तारी के समय या जब वह ऐसे अधिकारी की अभिरक्षा में है, तब किसी समय  जमानत देने के लिए तैयार है, तो उसे जमानत पर छोड़ दिया जायेगा।
  • यदि ऐसे अपराध का संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट यह विनिश्चय करता है कि उस व्यक्ति के विरुद्ध प्रथम बार ही वारंट जारी किया जाना चाहिए तो वह उपधारा (क) के अधीन न्यायालय के निर्देश के अनुरुप जमानती वारंट जारी करेगा।
  • न्यायालय मुकदमों के विभिन्न पहलुओं को देखते हुए शर्तों या बिना शर्त के अग्रिम जमानत मंजूर या नामंजूर कर सकती है।
  • व्यक्ति को न तो किसी लिखित बयान पर दस्तखत करना जरुरी है, न ही वे सब बातें लिखकर देनी होती हैं जो उसने जुबानी बताई हैं ।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

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