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जमानती और गैर-जमानती वारंट क्या है

जमानती और गैर-जमानती वारंट क्या है

वारंट क्या है ?

  • वारंट न्यायालय द्वारा जारी किया गया तथा न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक लिखित आदेश है।
  • हर वारंट तब तक प्रवर्तन में रहेगा जब तक वह उसे जारी करने वाले न्यायालय द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता या जब तक वह निष्पादित नहीं कर दिया जाता है ।

जमानती वारंट क्या है?

  • जमानती वारंट न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया गया वारंट है, जिसमें यह पृष्ठांकित है कि जमानत की शर्तें पूरी करने के बाद उसे जमानत दी जा सकती है । इस मामले में पुलिस जमानत देने की हकदार है , अगर गिरफ्तार व्यक्ति शर्तें पूरी करे।

गैरजमानती वारंट क्या है ?

  • गैरजमानती वारंट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा जारी वारंट है । इस मामले में पुलिस अधिकारी जमानत देने के लिए प्राधिकृत नहीं है । जमानत प्राप्त करने के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को सम्बद्ध न्यायालय में आवेदन करना होगा।

बिना वारंट के गिरफ्तारी

  • अभियुक्त पर संज्ञेय अभियोग हो या उसके खिलाफ ठोस शिकायत की गयी या ठोस जानकारी मिली हो या अपराध में उसके शामिल होने का ठोस शक हो,
  • अभियुक्त के पास सेंध लगाने का कोई औजार पकड़ा जाए और वह ऐसे औजार के अपने पास होने का समुचित कारण नहीं बता सके,
  • अभियुक्त के पास ऐसा सामान हो जिसे चोरी का समझा जाने के कारण हो अथवा जिस व्यक्ति पर चोरी करने या चोरी के माल खरीद-फरोख्त करने का शक करना वाजिब लगे।
  • अभियुक्त घोषित अपराधी हो ,
  • अभियुक्त किसी पुलिस अधिकारी के कर्तव्य पालन में बाधा पहुंचाए,
  • अभियुक्त पुलिस/कानूनी हिरासत से फरार हो जाए,
  • अभियुक्त के खिलाफ पक्का संदेह हो कि वह सेना का भगोड़ा है,
  • अभियुक्त छोड़ा गया अपराधी हो, लेकिन उसने फिर कानून तोड़ा हो,
  • अभियुक्त संदेहास्पद चाल-चलन का हो या आदतन अपराध करने वाला हो,
  • अभियुक्त पर असंज्ञेय अभियोग हो और वह अपना नाम-पता नहीं बता रहा हो। 

गिरफ्तारी के लिए मजिस्ट्रेट का वारंट

  • व्यक्ति को किसी भी मामले में गिरफ्तार करने के दौरान उसका अपराध तथा गिरफ्तारी का आधार बताया जाना चाहिए।
  • ड्यूटी पर मौजूद जूनियर अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आदेश के कारण को बताना होगा और अगर वह व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के आदेश को देखना चाहता है तो वह आदेश भी दिखाया जाएगा।
  • उसे यह भी बताया जाना चाहिए कि उस अभियोग पर उसे जमानत पर छोड़ा जा सकता है या नहीं ।
  • गिरफ्तारी के समय व्यक्ति पुलिस से वकील की मदद लेने की इजाजत मांग सकता है । उसके मित्र, संबंधी भी उसके साथ थाने तक जा सकते हैं ।
  • अगर व्यक्ति गिरफ्तारी का प्रतिरोध नहीं कर रहा हो तो गिरफ्तारी के समय पुलिस उससे दुर्व्यवहार नहीं कर सकती है, ना ही मारपीट कर सकती है ।
  • अगर वह पुराना अपराधी नहीं है या उसके हथकड़ी नहीं लगाने पर भाग जाने का खतरा नहीं है , तो गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को हथकड़ी नहीं पहनाई जा सकती है ।
  • अगर किसी महिला को गिरफ्तार किया जाना है , तो पुलिस का सिपाही उसे छू तक नहीं सकता है ।
  • गिरफ्तारी के तुरंत बाद व्यक्ति को थाने के प्रभारी अथवा मजिस्ट्रेट के पास लाया जाना चाहिए।
  • किसी भी स्थिति में , गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।( इसमें गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के पास लाए जाने का समय शामिल नहीं है)
  • किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना, 24 घंटे से ज्यादा समय तक पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।
  • गिरफ्तार व्यक्ति डॉक्टर द्वारा अपने शरीर की चिकित्सा परीक्षण की मांग कर सकता है ।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार