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वाट्सएप स्कूली बच्चों की सुरक्षा में बनेगा मददगार

वाट्सएप स्कूली बच्चों की सुरक्षा में बनेगा मददगार

नई दिल्ली। आज मोबाइल फोन मैसेजिंग एप वॉट्सएप सोशल मीडिया का एक ऐसा माध्यम बन चुका है। जिसके माध्यम से बड़ी आसानी से लोग एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा निदेशालय ने बच्चों की सुरक्षा के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब वाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाली घटनाओं की रोकथाम के लिए किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा निदेशालय एक ऐसा वाट्सएप ग्रुप बनाने जा रहा है, जिसमें स्थानीय पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों समेत स्कूल प्रिंसिपल शामिल होंगे। इस ग्रुप को बनाने का उद्देश्य है कि स्कूल प्रमुख आपातकाल में इसका इस्तेमाल सूचना पहुंचाने के लिए कर सकें। इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर समय रहते पुलिस भी कार्रवाई कर सके। जिससे बच्चों के साथ होने वाली किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।

वाट्सएप ग्रुप बनाने के संबंध में शिक्षा निदेशक संजय गोयल ने एक आदेश जारी किया है। संजय गोयल द्वारा जारी किए गए इस आदेश में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त से भी आग्रह किया है कि वे अपने सभी थाना प्रभारी को इस संबंध में निर्देश जारी करें। इस आदेश में कहा गया है कि बीते दिनों स्कूली बच्चों के साथ हुई घटना के बाद से यह जरूरी हो गया है कि स्कूल प्रमुख, जोनल समेत जिला उपशिक्षा निदेशक, स्थानीय थाना प्रभारी और सहायक पुलिस आयुक्त आपस में निकटता से जुड़े रहें। शिक्षा निदेशक ने अपने आदेश में सभी जोनल उपशिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि वे सभी स्कूल प्रमुखों को लिखित में उनसे संबंधित थाना प्रभारियों के मोबाइल नंबर उपलब्ध कराएं, जिससे संस्थागत वाट्सएप ग्रुप तैयार हो सकें, जिसमें दोनों तरफ से सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके। निदेशक ने अपने आदेश में जोनल उप निदेशकों को स्पष्ट किया है कि संबंधित थाना प्रभारी अगर इस संबंध में कार्रवाई नहीं कर रहा है तो वह इस मामले से जिला उपशिक्षा निदेशक को अवगत कराएं। ऐसी स्थिति में वे इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्त से बात करेंगे।

आपको बता दें कि कई बार आपातकाल में पुलिस और स्कूल के बीच किसी कारण से टेलीफोन के जरिये संपर्क करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में वाट्सएप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके माध्यम से सभी लोगों तक सूचना तुरंत भेजी जा सकती हैं। जिससे स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाली घटनाओं की जल्दी से रोका जा सके।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार