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मुसीबत में फंसी महिलाओं को स्कूटी पर सवार महिला पुलिस की मदद

मुसीबत में फंसी महिलाओं को स्कूटी पर सवार महिला पुलिस की मदद

जयपुर (राजस्थान)। राजस्थान पुलिस ने महिलाओं प्रति बढ़ते अपराध व महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सराहनीय कदम उठाया है। जयपुर में अब मुसीबत में फंसी महिलाओं को डरने की जरुरत नहीं है । उनको तत्काल मदद पहुंचाने के लिए 26 स्कूटी सवार महिला पुलिस कंट्रोल यूनिट की 52 महिला कांस्टेबल पूरे जयपुर में चौबीस घंटे तैयार हैं।

आपको बता दें कि जयपुर पुलिस आयुक्त ने यह कदम महिलाओं की सुरक्षा और मदद को लेकर यह योजना पिछले वर्ष शुरू की थी। इस योजना के तहत अभी तक ये महिला पेट्रोल यूनिट ढाई सौ से ज्यादा महिलाओं की मदद कर चुकी है। नीले रंग की यूनिफॉर्म में स्कूटी सवार महिला कांस्टेबल महिलाओं में सुरक्षा का अहसास और आत्मविश्वास तो भरती ही हैं। इसके अलावा मनचलों और अपराधियों के अपराधी मंसूबों को भी पस्त करती हैं। इन महिला पुलिसकर्मियों की रुटीन ड्यूटी भीड़-भाड़ वाले इलाकों, स्कूल- कॉलेज और बाजार में रहती है, लेकिन कंट्रोल रूम से किसी घटना की सूचना मिलने पर ये फौरन पीड़ित को मदद पहुंचाने के लिए घटना स्थल को रवाना हो जाती हैं। एक घटना पर रिपोर्ट के लिए दो स्कूटी पर सवार कुल चार महिला कांस्टेबल मौके पर पहुंचती हैं। और फिर मौके पर पहुंचते ही वाकीटाकी पर पीसीआर वैन को घटना की सूचना देती हैं, ताकि पीड़िता को जरूरत पड़ने पर अस्पताल या अन्य सुरक्षित और सुविधा जनक जगह ले जाया जा सके। घर से बाहर निकलने वाली महिलाएं जयपुर पुलिस की इस पहल से शहर की काफी खुशी है, और वे चाहती हैं कि इस सेवा को हमेशा के लिए जारी रखा जाए।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार