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डोर स्टेप डिलेवरी योजना को लेकर उपराज्यपाल पर भड़के मनीष सिसोदिया

डोर स्टेप डिलेवरी योजना को लेकर उपराज्यपाल पर भड़के मनीष सिसोदिया

दिल्ली। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डोर स्टेप डिलीवरी योजना को लेकर उप राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्वी दिल्ली जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय पहुंचे मनीष सिसोदिया ने आरोप उपराज्यपाल पर आरोप लगाया कि यहां लोग एक प्रमाण पत्र बनवाने के लिए चार-पांच दिनों से कार्यालयों का चक्कर लगा रहे है। बुजुर्ग यहां कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि बगैर दलालों को पैसा दिए यहां पर काम नहीं होता है। इसी भ्रष्ट सिस्टम को खत्म करने के लिए वह डोर स्टेप डिलीवरी योजना लेकर आ रहे थे। 

मनीष सिसोदिया का कहना है कि इस योजना के तहत जिसे प्रमाण पत्र बनवाना था वह कॉल सेंटर में कॉल करता। सूचना मिलने के बाद सरकार का कर्मचारी उसके घर जाता। उसकी बायोमैट्रिक पहचान, आंखों की पुतली भी स्कैन करता। दस्तावेज जमा करता। फिर जांच के बाद आवेदक को प्रमाण पत्र घर पहुंचाता। जबकि एलजी साहब का कहना है कि इससे प्रदूषण बढ़ जाएगा। आगे उन्होंने आरोप लगाया कि इस योजना से प्रदूषण नहीं बढ़ेगा, बल्कि इससे भ्रष्ट सिस्टम खत्म हो जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जब मैंने लोगों से बात की तो पता चला कि वे चार पांच दिन से यहां काम कराने आ रहे हैं। लेकिन वहीं उपराज्यपाल साहब को लाइन में खड़े लोगों और सरकारी कार्यालयों के बाहर बैठे बिचौलिये नहीं दिखाई दे रहे हैं। 

मनीष सिसोदिया ने कहा कि वह उपराज्यपाल साहब से आग्रह करते हैं कि एक दिन वह बिना बताएं किसी सरकारी कार्यालय जाकर वहां के हालात देखें। वहीं बीजेपी के सवाल उठाने पर सिसोदिया ने कहा कि वह आम लोगों को बरगलाना बंद करें। उन्हें बीजेपी पर आरोप लगाया कि उन्हें लोगों की नहीं बल्कि कंपनियों की चिंता है। साथ ही सवाल किया कि क्या बिचौलिये बीजेपी के कार्यकर्ता हैं। फिर वह क्यों भ्रष्टाचार खत्म करने वाली योजना का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब पिज्जा, क्रेडिट कार्ड की होम डिलीवरी हो सकती है तो प्रमाण पत्र क्यों नहीं हो सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार