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अब नगर निकाय सेवाओं के लिए नहीं लगाने होंगे चक्कर

अब नगर निकाय सेवाओं के लिए नहीं लगाने होंगे चक्कर

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। प्रदेश की योगी सरकार ने लोकसेवा अधिकार के तहत बहुत ही अहम फैसला लिया है। अब आम लोगों को नगर निकायों से मिलने वाली सुविधाओं के लिए रोज-रोज चक्कर नहीं काटने होंगे। सरकार ने नगर निकायों से जुड़ी सेवाओं के लिए नए सिरे से समय सीमा तय कर दी है। अब जन्म-मृत्यु प्रमाण जहां 30 दिन के भीतर जारी करना होगा, वहीं नामांतरण के लिए 45 दिनों की समयसीमा तय की गई है।

प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने सभी नगर निकायों को ‘उप्र. जनहित गारंटी अधिनियम-2011’ की संशोधित व्यवस्था के मुताबिक सुविधाएं देने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि अब नगर निकायों के लिए पेयजल और सीवर कनेक्शन का आवेदन मिलने के 30 दिन के भीतर कनेक्शन देना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने अधिनियम में पेयजल व सीवर कनेक्शन देने की समय सीमा तय कर दी है। इसी तरह रिक्शा, खाद्य समेत अन्य तरह के लाइसेंस देने का काम भी 20 दिन के भीतर करना होगा। नियत समय सीमा में सेवाएं उपलब्ध न कराने पर आवेदक शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायतों का निस्तारण भी 30 दिन में करना अनिवार्य होगा। शिकायतों की सुनवाई भी दो स्तरों पर होगी।

नगर निगमों की सेवाओं से संबंधित शिकायतों की सुनवाई के लिए प्रथम अपीलीय अधिकारी के तौर पर नगर आयुक्त किसी अपर नगर आयुक्त या संयुक्त नगर आयुक्त को नामित करेंगे। वहीं नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों से संबंधित सेवाओं से संबंधित शिकायतों के लिए प्रथम अपीलीय अधिकारी उप जिलाधिकारी होंगे। इसी तरह नगर निगमों में द्वितीय अपीलीय अधिकारी नगर आयुक्त और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के लिए डीएम होंगे।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार