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मुकदमे के जल्दी निपटारे का अधिकार

मुकदमे के जल्दी निपटारे का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

मेनका गांधी के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 हर व्यक्ति को यह मौलिक अधिकार देता है कि कानून द्वारा निश्चित की गयी प्रक्रिया के अनुसार ही किसी व्यक्ति को जीवन से या मुक्ति से वंचित किया जा सकता है और यह प्रक्रिया संगतपूर्ण , उचित और निष्पक्ष होनी चाहिए न कि कोई अनुच्छेद 21 से मिलती जुलती प्रक्रिया हो । यदि कोई व्यक्ति ऐसी प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता खो देता है जो संगतपूर्ण , उचित व निष्पक्ष नहीं है , ऐसी स्थिति में अनुच्छेद 21 के तहत उसके मौलिक अधिकार का खंडन माना जायेगा  और वह अपने मौलिक अधिकार को लागू करने का अधिकार रखता है औऱ रिहाई ले सकता है। कोई भी प्रक्रिया जो शीघ्र मुकदमा सुनिश्चित नहीं करती संगतपूर्ण, उचित और निष्पक्ष नहीं कहलाई जा सकती।

अदालत का अधिकार

  • यदि अभियोग पक्ष बार-बार अवसर मिलने पर भी अपने गवाहों को भी पेश नहीं कर पाता है तो मजिस्ट्रेट  क्रिमिनल प्रोसीजर के तहत अभियोग को समाप्त कर सकता है ।
  • सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर दो वर्षों और साथ में तीन और महीनों के बाद भी यदि पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाती तो यह माना जा सकता है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है, सरकार ऐसे केसों को वापस ले सकती है ।
  • क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 की धारा 468 की उपधारा 2 के मुताबिक वे कैदी जिनके खिलाफ पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं करती उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और उन्हें तुरंत छोड़ दिया जाना चाहिए,  क्योंकि उन्हें जेल में रखना गैरकानूनी होगा और साथ ही अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए उनके मूलभूत अधिकारों का खंडन भी होगा ।
  • क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 की धारा 167 (5) में कहा गया है कि यदि किसी मुकदमे के बारे में मजिस्ट्रेट सोचता है कि यह सम्मन मुकदमा  है और जिस तारीख से अभियुक्त गिरफ्तार हुआ है उससे 6 महीने के अंदर तहकीकात समाप्त नही होती, मजिस्ट्रेट अपराध के बारे में और तहकीकात को रुकवा सकता है , लेकिन अगर जो अधिकारी तहकीकात कर रहा है वह मजिस्ट्रेट को इस बात के लिए संतुष्ट कर दे कि विशेष कारणों से और न्याय के हित में तहकीकात 6 महीनों के बाद चालू रहे तो तहकीकात चालू रह सकती है । 
  • क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 (2) में दी गयी शर्त के मुताबिक मजिस्ट्रेट अभियुक्त को 15 दिन से ज्यादा जेल में रखने का आदेश दे सकता है अगर वह इस बात से संतुष्ट है कि ऐसा करने के पर्याप्त कारण हैं । कैदियों को समय-समय पर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करते रहना चाहिए।
  • हाईकोर्ट को यह अधिकार है कि वो विचाराधीन कैदियों के मुकदमों का निरीक्षण करे यह देखने के लिए कि किसी राज्य में मजिस्ट्रेट संहिता के प्रावधानों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
  • सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यदि किसी बच्चे के अपराध की सजा सात साल से अधिन न हो , शिकायत दर्ज होने की तारीख या एफआईआर दर्ज होने की तारीख से तीन महीने का समय तहकीकात के लिए अधिकतम समय माना जायेगा और चार्जशीट दाखिल करने के बाद 6 महीने का समय है जिसमें बच्चे का मुकदमा हर हाल में पूरा हो जाना चाहिए । यदि ऐसा नही किया जाता है तो बच्चे के खिलाफ अभियोग रद्द किया जा सकता है ।
  • अनुच्छेद 21 के अनुसार यदि मृत्युदण्ड को पूरा करने में देरी हो जाती है , जिससे मृत्युदण्ड पाने वाले को मानसिक कष्ट व यंत्रणा मिलती है  तो यह अनुच्छेद 21 का खंडन है । इसलिए मृत्युदण्ड को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है ।

सरकार का कर्तव्य

  • अनुच्छेद 39-A  के मुताबिक सरकार समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा दे तथा उचित कानून व योजना बनाकर नि:शुल्क कानूनी सहायता दे और यह भी देखे कि आर्थिक विपन्नता या दूसरी कमियों के कारण किसी भी नागरिक को न्याय मिलने के अवसर से वंचित नहीं रहना पड़े ।
  • गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सेवा न केवल संविधान का समान न्याय का आदेश है जो अनुच्छेद 14 में दिया गया है और जीवन व स्वतंत्रता का अधिकार जो अनुच्छेद 21 में दिया गया है बल्कि संवैधानिक निर्देश है जो अनुच्छेद 39-A में दिया गया है ।

 

 

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार