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#khadyaevamrasadvibhag​ कोटेदार(राशन डीलर) कैसे लूट रहे हैं आपका राशन ?

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#khadyaevamrasadvibhag​ कोटेदार(राशन डीलर) कैसे लूट रहे हैं आपका राशन ?

हमारे देश में सरकारी राशन की दुकानें राशन की चोरी के लिये कुख्यात हैं। अक्सर उपभोक्ता आरोप लगाते हुये मिल जायेंगे कि सरकारी राशन की दुकान के राशन डीलर यानी कोटेदार उन्हें कम राशन देते हैं। वहीं अधिकतर कोटेदार उनके इन आरोपों को सिरे से नकार देते हैं। जबकि कुछ कोटेदारों का कहना है कि जब उन्हें ही खाद्य एवं रसद विभाग से राशन कम मिलता है तो वह भला उपभोक्ताओं को पूरा राशन कैसे दे सकते हैं। जबकि एक कोटेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जनपद के अधिकारी उनके इलेक्ट्रनिक तराजू में बदलाव करवा देते हैं, जिसके कारण कम तौल के होते हुए भी राशन के कम होने का पता ही नहीं चलता है। अब ये सभी गोलमाल कैसे किया जा रहा है, इसके लिये चलिये हम आपको मिलवाते हैं,,, खाद्य एवं रसद विभाग के मार्केटिंग इंस्पेक्टर यानी विपणन निरीक्षक से,,,। हमारी वेबसाइट है: http://adhikarexpress.com/

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।