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बिजली कटौती की अफवाह फैलाने पर देशद्रोह का केस दर्ज !

बिजली कटौती की अफवाह फैलाने पर देशद्रोह का केस दर्ज !

रायपुर (छत्तीसगढ़)। देश में पहली बार सोशल मीडिया पर बिजली कटौती की अफवाह फैलाने के मामले में दो लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। और साथ ही दोनों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। हालांकि, राजनैतिक माहौल गरमाने के पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोनों के मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। इसके साथ ही दोनों व्यक्तियों को जमानत मिल गई है। 

आपको बता दें कि बिजली कटौती को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का पहला मामला राजनांदगांव के मुसरा डोंगरगढ़ का है, जहां के रहने वाले मांगेलाल अग्रवाल को बिजली कंपनी की शिकायत पर आईपीसी के तहत राजद्रोह की धारा 124 ए और सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार की धारा 505/1/2 के तहत गिरफ्तार किया गया। वायरल वीडियो में मांगेलाल अग्रवाल कह रहे हैं, "एक इन्वर्टर कंपनी के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की सेटिंग हो गई है। इसके लिए राज्य सरकार को पैसा दिया गया है। करार के मुताबिक घंटे- 2 घंटे में 10 से 15 मिनट के लिए लाईट कटौती होती रहेगी, तो इन्वर्टर बिक्री बढ़ेगी।" वीडियो पोस्ट होते ही धड़ल्ले से शेयर होने लगा। देखते ही देखते यह वीडियो पूरे राज्य में वायरल हो गया। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर बिजली कंपनी ने शुक्रवार को मामला वापस लेने का आवेदन दिया। पुलिस ने केवल राष्ट्रद्रोह की धारा हटा दी, उसके बाद अग्रवाल को कोर्ट से जमानत मिल गई। वहीं महासमुंद के दिलीप शर्मा ने वेब मोर्चा पोर्टल पर 50 गांवों में 48 घंटे बिजली बंद होने होने की खबर चला दी थी। बिजली कंपनी के डीई एसके साहू की शिकायत पर गुस्र्वार रात 11 बजे पुलिस ने शर्मा को घर से बनियान-टॉवेल में उठा लिया था। पुलिस ने मिथ्या भ्रामक विषयवस्तु को जनमानस में प्रसारित करके जनाक्रोश फैलाने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया। शुक्रवार सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश किया, उसके बाद शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी। 

सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के खिलाफ मामले दर्ज होने पर शुक्रवार को प्रदेश की राजनीति गरमा गई। भाजपा ने सीधे मुख्यमंत्री को निशाना बनाया। विपक्ष की बयानबाजी के बाद दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री ने दोनों मामलों को संज्ञान में लिया। उन्होंने डीजीपी से बात की और कहा कि इस तरह की कार्रवाई तत्काल रोकी जाए। जहां मामले दर्ज हो चुके हैं, उन्हें तत्काल वापस लिया जाए। मुख्यमंत्री बोले-कांग्रेस और उसकी सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रबल पक्षधर हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से अपील है कि वे अभिव्यक्ति के दौरान संयम बरतें। राजनांदगांव और महासमुंद जैसी घटना न हो, इसका पुलिस भी विशेष ध्यान रखें। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि सरकार ने बौखलाहट भरा घोर अलोकतांत्रिक कदम उठाया है। सरकार जब से सत्ता में आई है, राजनीतिक प्रतिशोध के साथ-साथ अब अभिव्यक्ति की आजादी को लहूलुहान करने पर उतारू हो गई है। पहले उन्होंने बिजली के मुद्दे पर अपनी नाकामी छिपाने के लिए बिजली अमले को भाजपा का एजेंट बता दिया और अब राजद्रोह का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी करके वे तानाशाही और आतंकराज कायम करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार