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आजादी के बाद पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक छुट्टी

आजादी के बाद पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक छुट्टी

रायपुर (छत्तीसगढ़) । पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। पुलिस महानिदेशक डी. एम. अवस्थी ने प्रदेश के सभी पुलिसकर्मियों को हर हफ्ते एक दिन छुट्टी देने का एलान किया है। पुलिसकर्मियों को अभी तक करीब 40 से 45 दिनों की वार्षिक विशेष छुट्टी मिलती थी, लेकिन इस फैसले के बाद अब सिपाही से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मी काम के तनाव से मुक्ति पा सकेंगे। 

पुलिस महानिदेशक की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि सिपाही से लेकर निरीक्षक स्तर तक के सभी पुलिसकर्मियों को हर हफ्ते एक दिन की छुट्टी मिलेगी। हालांकि आपातकालीन स्थितियों में वीवीआईपी मूवमेंट के मामले में अगर साप्ताहिक अवकाश नहीं दिए जाते हैं तो पुलिसकर्मियों को उसी महीने बाद में लंबित छुट्टी मिल जाएगी। आदेश के मुताबिक, नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिसकर्मियों को तीन महीने के अंतराल पर सामूहिक रूप से आठ दिनों की छुट्टी दी जाएगी। सुरक्षा कारणों से साप्ताहिक अवकाश को रद्द भी किया जा सकता है और इस पर निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से इकाई प्रमुख को होगा। आदेश के अनुसार, साप्ताहिक अवकाश को रद्द करने की आधिकारिक अनुमति पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट की होगी और इसकी औपचारिक सूचना रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) को भेजने की जरूरत है। इसी तरह के नियम छत्तीसगढ़ सशस्त्र बलों (सीएएफ) के कर्मियों के लिए भी लागू होंगे। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि साप्ताहिक अवकाश को अन्य छुट्टियों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और न तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा, न ही इसके बदले भुगतान किया जाएगा।

दरअसल पुलिसकर्मी का काम काफी तनावपूर्ण होता है। इसके बावजूद अभी तक इन्हें हफ्ते में एक भी छुट्टी नहीं मिलती है। पुलिसकर्मी केवल अपने सीनियरों से पूछकर छुट्टी ले सकते हैं, यह उनका हक नहीं है। छुट्टी नहीं मिलने की भरपाई उन्हें एक्सट्रा एक महीने की सैलरी देकर की जाती है। एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी का कहना है कि ब्रिटिश शासन के समय बने पुलिस एक्ट (1861) का अभी तक पालन हो रहा है। इसके मुताबिक सभी पुलिसकर्मी हफ्ते के हर दिन चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहेंगे। इसके लिए निरीक्षक,  उप निरीक्षक , हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को एक महीने की सैलरी अतिरिक्त देने का प्रावधान किया गया है।

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार