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न्याय की आस में अंधे पिता ने की आत्महत्या !

न्याय की आस में अंधे पिता ने की आत्महत्या !

अलवर (राजस्थान)। एक बार फिर पुलिस की लापरवाही के कारण दिल दहला देने वाली घटना सामने आयी है। अलवर जिले के झिवाना गांव में एक नेत्रहीन पिता रत्तीराम जाटव ने अपने बेटे हरीश जाटव को उन्मादी हिंसा मामले में न्याय नहीं मिलने पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से नाराज परिजनों ने आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं होने पर जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की चेतावनी दी है। हालांकि लोगों के आक्रोश को देखते हुए मौके पर पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है।

गौरतलब है कि अलवर जिले में भिवाड़ी तहसील के झिवाना गांव निवासी दलित युवक हरीश जाटव करीब 1 महीने पहले 16 जुलाई को अपनी बाइक से जा रहा था। इस दौरान चौपानकी थाना क्षेत्र के फलसा गांव में उसकी बाइक से टक्कर लगने से एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। इस दौरान मौके पर मौजूद उमरशेर ठेकेदार व अन्य लोगों ने हरीश जाटव को पकड़ लिया और उसको जमकर मारा-पीटा। जिससे वह गंभीर रुप से घायल हो गया। घटना की सूचना पर हरीश का भाई दिनेश जाटव मौके पर पहुंचा और उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। हरीश जाटव की हत्या के केस के मामले में पुलिस द्वारा धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था। और पीड़ित परिवार को 4 लाख 12 हजार की आर्थिक मदद भी दी गई थी।

रत्तीराम के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की । परिजनों का कहना है कि रत्तीराम पुलिस के काम करने के तरीके से परेशान था। इस कारण उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने शुक्रवार को रतिराम का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया। दलित समाज के लोगों ने प्रभावित परिवार को मुआवजे सहित अन्य मांगों को लेकर टपूकड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में धरना प्रदर्शन किया। इस आक्रोश को देखते हुए मौके पर पुलिस फोर्स तैनात है। मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है। पुलिस अधीक्षक अनिल परिस देशमुख का कहना है कि युवक की मौत के बाद इस मामले में हत्या से संबंध में धारा 302 जोड़ी गई थी और मामले में जांच चल रही है।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार